धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम और देवी सीता जी का विवाह (Shri Ram Janki Vivaah – Vivaah Puanchami) त्रेतायुग में मार्गशीर्ष मास (जिसे उत्तर भारत में जन साधारण द्वारा  ‘अगहन’ मास (Aghan Maas) के नाम से बोला जाता है ) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को संपन्न हुआ था। 

इस दिन भगवान श्रीराम राजा जनक के महल में पुत्री सीता के लिए आयोजित स्वयंवर समारोह में जब वह भगवान शिव के धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयत्न कर रहे थे, तब धनुष टूट गया। यह शिव धनुष स्वयंवर समारोह में उपस्थित राजाओं से तो हिला भी नहीं था , जिसे प्रभु श्रीराम ने आसानी से उठा लिया था और अंततः वह टूट गया। 

इसीलिए राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम से करने की उद्घोषणा की और माता सीता ने श्रीराम जी के गले में वरमाला डाली तथा उन का विवाह बड़ी धूमधाम एवं विशाल राजसी समारोह के रूप में हुआ।

उसी समय से प्रति वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को अयोध्यावासियों तथा जनकपुर वासियों द्वारा यह दिन उनके विवाह के सालगिरह के सम्मान  के रूप में बड़ी धूमधाम मनाया जाने लगा  तथा यह दिन विवाह पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।  यह समारोह भारत वर्ष में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नैपाल में भी विवाह पंचमी के नाम से तभी से मनाया जाता है  ।

विवाह पंचमी  मार्गशीर्ष मास (अर्थात अगहन मास )की शुक्ल पक्ष की पंचमी को बड़े धूमधाम से अयोध्या एवं जनकपुरी तथा भारत के मिथालांचल क्षेत्र में विशेषतः यह पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

इस का उत्सव वहाँ के जन साधारण कई दिन पहले से शुरु करते हैं।  विवाह के संगीत तथा अन्य रस्में भी आयोजित करते हैं  तथा सामूहिक रूप से मिलजुल कर एक सामाजिक पर्व के रूप में भी मनाते हैं, जिसे देखते ही बनता है।  बड़ी संख्या में पर्यटक भी इस पर्व  / समारोह को विशेषतः देखने आते हैं  ।

विवाह पंचमी का पर्व अर्थात  श्रीराम जी का देवी सीता के साथ शुभ विवाह का उत्सव मनाया जाना बहुत ही शुभ और मंगलदायक माना जाता है। 

अतः जो भी जन मानस के लोग चाहे वह भारत वर्ष के किसी भी हिस्से  / प्रदेश में रहते हों या अन्य कहीं विदेश में रहते हों,  उन सभी को निश्चित रूप से इस पर्व को प्रति वर्ष मनाना चाहिए विशेषकर इसलिए कि इस के आयोजन में भगवान श्रीराम  और देवी सीता को पूरे समर्पण के साथ स्मरण करना चाहिए । 

यह धार्मिक मान्यता है कि जिस देवी देवता को पूरे समर्पण से याद कर उनकी आराधना करते हैं,  तो उनकी अनुकम्पा अवश्य प्राप्त होती है।

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी,  जिसे सामान्यतः विवाह पंचमी के नाम से आम जन मानस में जाना जाता है,  इस तिथि के दिन के बारे में यह भी माना जाता है कि उत्तर भारत स्थित वृन्दावन के निधि वन में इसी दिन भगवान श्री बाँके बिहारी जी का प्रकाट्य उत्सव भी मनाया जाता है। 

अतः यह विवाह पंचमी का दिन सभी के लिए बहुत ही मंगलकारी एवं शुभ दिन माना जाता है। इसीलिए इस दिन भक्तों को भगवान श्रीराम, देवी सीता तथा भगवान श्री बाँके बिहारी जी की पूजा अर्चना / आराधना आपस में मिलजुल कर खूब मन से पूर्ण समर्पण के भाव से भगवान का पुण्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए।

विवाह पंचमी 2022 तिथि/समय 

मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ  (Vivaah Panchami Starts)-     

27 नवंबर 2022 दिन रविवार को सांय  04- 25 PM  पर प्रारम्भ होगी। 

पंचमी तिथि समापन  – 

दिनांक 28 नवंबर  2022 दिन सोमवार (Vivaah Panchami Tithi)को मध्यान्ह 01 – 35 PM पर समाप्त होगी। 

विवाह पंचमी उत्सव (Vivaah Panchami Utsav)- 

उदय तिथि के अनुसार विवाह पंचमी का पर्व दिनांक 28 नवंबर 2022 को मनाया जायगा  ।

विवाह पंचमी की पूजा विधि 

जो लोग अपने घर पर विवाह पंचमी मनाते हैं (Vivaah Panchami Puja) वह सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने घर पर भगवान श्रीराम और देवी सीता की प्रतिमा स्थापित करते  हैं ।

पूजन का काम भगवान श्री गणेश का ध्यान / अर्चन करने के बाद श्रीराम विवाह की रस्म आदि शुरु की जाती है। 

घर में जो भी स्त्रियाँ वह तथा आसपास की स्त्रियाँ सब मिलकर रस्मों के गीत व भजन आदि घर पर उपलब्ध ढोलक, मजीरा आदि के साथ बड़े उत्साह से गाती बजाती हैं तथा नृत्य भी करती हैं। 

इस दिन विवाह की झाँकियों को खूब सजा कर शोभा यात्रा के रूप में श्रीराम की बारात शहर या अपने- अपने इलाके में निकाली जाती हैं। इन शोभा यात्राओं को देखने के लिए स्थानीय लोगों की खूब भीड़ उमड़ती है ।

श्रीराम सीता के विवाह आयोजन में  हनुमान जी की पूजा कर के उनका आवाह्न अवश्य करना चाहिए।  क्योंकि श्री हनुमान जी भगवान श्रीराम अनन्य  / सबसे बड़े भक्त हैं तथा वह सीता माता को अत्यधिक प्रिय माने जाते है। 

देवी सीता और प्रभु श्रीराम को विवाह की माला पहनाई जाती हैं तथा गठजोड़ बांधा जाता है  ।

देवी सीता व भगवान श्रीराम को भोग लगया जाता है।  रस्म आदि समाप्त होने पर उन की आरती की जाती है  ।

आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटा जाता है। 

इस दिन घरों में भगवान श्रीराम और देवी सीता का ध्यान करना चाहिए तथा घर में सब लोग मिलजुल कर उनका भजन कीर्तन करना चाहिए  ।

विवाह पंचमी की कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम साक्षात् भगवान विष्णु के अंश के रूप थे तथा माता सीता  माता लक्ष्मी का रूप थीं । (Vivaah Panchami Katha) भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में तथा देवी लक्ष्मी राजा जनक की पुत्री के रूप में आईं थीं ।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का जन्म धरती से हुआ था।  एक समय जब राजा जनक हल जोत रहे थे उस समय उन को एक नन्ही बच्ची मिली थी।

उस नन्ही बच्ची को उन्होंने सीता नाम दिया था। इसलिए  सीता माता राजा जनक की पुत्री के रूप में जानी जातीं हैं। एक बार की बात है कि सीता जी ने अपने पिता के मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठाकर दूसरी तरफ रख दिया था। 

ऐसा माना जाता है कि उस धनुष को भगवान परशुराम के अलावा कोई भी नहीं उठा सकता था। बेटी सीता द्वारा धनुष को उठाया देखकर राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि वह अपनी पुत्री के योग्य उसी मनुष्य को समझेंगे जो भगवान शिव के इस धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पायेगा। 

राजा जनक द्वारा स्वयंवर का दिन तय किया गया और चारों ओर राज घरानों में संदेश भेज दिया गया।  बहुत से राजा और बड़े – बड़े महारथी  इस स्वयंवर में पधारे। 

इस स्वयंवर में महर्षि वशिष्ठ भी भगवान श्रीराम व लक्ष्मण के साथ एक दर्शक के रूप में शामिल हुए।  स्वयंवर में पधारे बहुत से राजाओं  व महारथियों ने भगवान शिव के धनुष को उठाने का भरपूर प्रयास किया परन्तु सभी विफल रहे।  यहाँ तक कि उन से धनुष हिला तक नहीं।

ऐसा खराब प्रदर्शन देख कर राजा जनक बहुत दुखी हुए और बड़े करुण शब्दों में बोले कि ऐसा लगता है कि कोई भी राजा मेरी पुत्री के योग्य नहीं है ?  राजा जनक की दयनीय मनोस्थिति को देखकर महर्षि वशिष्ठ द्रवित हो गए और अयोध्या के चक्रवर्ति राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम जी से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा। 

अपने गुरुदेव की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान श्रीराम जहाँ शिव धनुष रखा था वहाँ गये और शिव धनुष को बड़ी आसानी से उठा लिया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे,  लेकिन प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह धनुष टूट गया।

इस प्रकार स्वयंवर को जीत कर अयोध्या नरेश श्रीराम ने अपने राजवंश का मान बढ़ाया और जनक पुत्री सीता से विवाह किया। देवी सीता ने श्रीराम जी के गले में वरमाला डाली।

ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र विवाह से तीनों लोक अर्थात धरती, पाताल व स्वर्ग लोक में प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ी। यह भी कहा जाता है कि वरमाला के  समय आसमान से फूलों की वर्षा हुई थी और चारों तरफ शंख नाद होने लग गया था तथा पूरा ब्रह्मांड गूंज उठा था। उसी समय से इस तिथि को विवाह पंचमी के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाने लगा। 

विवाह समय भगवान श्रीराम व देवी सीता की आयु 

वाल्मीकि रामायण में यह उल्लेख मिलता है कि स्वयंवर के समय भगवान श्रीराम की आयु  13 वर्ष  और देवी सीता की आयु  6 वर्ष की थी तथा विवाह के पश्चात देवी सीता 12 वर्ष की आयु तक अपने पिता राजा जनक के पास रहीं।  जबकि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में यह उल्लेख किया है  –

 ” वर्ष अठारह की सिया,  सत्ताइस के राम ।

  कीन्हो मन अभिलाष तब, करनों है शुभ काम  ।।”

इस से यह स्पष्ट होता है कि युवराज  श्रीराम  विवाह के समय  27 वर्ष के तथा जनक पुत्री सीता की आयु 18 वर्ष थी।

विवाह  पंचमी  का  महत्व  –

Vivaah Panchami Ka Mahatva -मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि अर्थात विवाह पंचमी का दिन सनातन धर्म मानने वालों मे एक बहुत पवित्र दिन माना जाता है ।

इसी दिन त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता के साथ हुआ था  ।

यह दिन  भगवान श्रीराम व देवी सीता की आराधना करने के लिए बहुत ही उत्तम व शुभ माना जाता है। 

विवाह पंचमी का दिन व्रत रखने के लिए शुभ माना जाता है तथा विवाह की रस्म पूरी होने पर ही लोग व्रत खोलते हैं  ।

अयोध्या और जनकपुर मे इस दिन श्रीराम- सीता विवाह के भव्य समारोह आयोजित किये जाते  हैं जिन्हें देखने के लिए श्रद्धालु  दूर- दूर से आते हैं ।

इस दिन भगवान श्रीराम के स्त्रोतों व मन्त्रों का पाठ करना बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता है। 

इस संबंध में अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न  –

Q.1)  विवाह पंचमी कब मनाई जाती है ? (When does Vivah Panchami Celebrated?)

Ans.  विवाह पंचमी का पर्व/ उत्सव  प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। 

Q. 2)  विवाह पंचमी  2022 कब है ? (When is Vivah Panchami in 2022?)

Ans.   इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व  दिनांक  28 नवंबर 2022 , दिन सोमवार को मनाया जायगा । 

Q. 3)    विवाह पंचमी किस उपलक्ष्य में मनाई जाती है ? (Why does Vivah Panchami celebrated?)

 Ans.  विवाह पंचमी के दिन अयीध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम का विवाह राजा जनक की पुत्री देवी सीता के साथ हुआ था।  उन के पवित्र विवाह की सालगिरह के उत्सव के उपलक्ष्य में विवाह पंचमी प्रति वर्ष मनाई जाती है  ।