भारतीय संस्कृति तथा सनातन (हिन्दू) धर्म में श्रीमद् भागवद्गीता (Geeta Jayanti Par Vishesh Lekh) एक बहुत ही पवित्र,  सम्माननीय एवं एक अत्यंत महत्वपूर्ण शास्त्र है। इस ग्रंथ का नाम केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग बहुत आदर से लेते हैं। 

गीता का संदेश द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अब से लगभग 5560 वर्ष पहले दिया था। 

जिस दिन यह संदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह (जिस को उत्तर भारत के लोग आम भाषा में ‘अगहन’ माह बोलते हैं) की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसीलिए इस महत्वपूर्ण दिवस को गीता जयन्ती के नाम से बड़ी श्रद्धा भाव से मनाया जाता है  ।

अब से लगभग 237 वर्ष पूर्व सन् 1785 में जब भारत पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण था उस समय की अंग्रेजी सरकार के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने भारत में इस ग्रंथ की अत्यधिक लोकप्रियता (popularity) का कारण जानने के लिए इंग्लैंड के एक अंग्रेज विद्वान द्वारा इस का अनुवाद कराया। 

उस अनुवाद के प्रकाशित होने के बाद इस ग्रंथ की महिमा पूरे विश्व को पता चली क्योंकि   उस समय कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में कभी सूर्य नहीं डूबता। 

ब्रिटिश शासन को एक बड़ा आश्चर्य तो यह जानकर हुआ कि जिस अंग्रेज विद्वान द्वारा गीता का अनुवाद कराया गया था उसने इस कार्य को पूरा करने के बाद अपना धर्म ( ईसाई धर्म) त्याग कर हिन्दू धर्म अपना लिया था।

जिसका पूरे विश्व को यह संदेश गया कि यह ग्रंथ तथा इस में निहित शिक्षाऐं/ संदेश दुनिया के सभी धर्मों से उत्तम हैं। इस संदर्भ में इस महान ग्रंथ के प्रकाट्य की जयन्ती मनाना न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है। 

गीता जयन्ती  2022 कब है?

Geeta Jayanti Kab Aati Hai? यह पर्व प्रति वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।  तदनुसार  इस वर्ष यह पर्व दिनांक 03 दिसम्बर 2022 , दिन शनिवार को पड़ेगा । 

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष एकादशी

तिथि  प्रारंभ  –   03 दिसंबर 2022                    दिन शनिवार,  प्रातः 05-39 AM से

तिथि समाप्त  – 04 दिसंबर 2022,                     दिन रविवार प्रातः 05-34AM तक

गीता जयन्ती दिनांक 03 दिसम्बर 2022 को मनाई जायगी । इस दिन जो एकादशी है वह मोक्षदा एकादशी कहलाती है तथा इस दिन लोग एकादशी का व्रत रखते हैं व भगवान विष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। 

गीता जयन्ती कैसे मनाई जाती है?

Geeta Jayanti Kaise Manayi Jaati hai? गीता जयन्ती के दिन सभी को भोर में शीघ्र उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो, साफ – सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। 

स्नान प्रारंभ करने से पहले माँ गंगा का आवाह्न करके स्नान करना गंगा जी में स्नान करने जैसा शुभ माना जाता है।  अतः इसे नित्य की आदत में शामिल करना चाहिए  ।

इस दिन हर समय भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करना चाहिए  ।यह अत्यंत मंगलकारी होता है  ।

अपने पूजा घर में अथवा जहाँ इस दिन बैठकर भगवान की अर्चना करना चाहते हैं वहाँ पर चौकी बिछाऐं,  उस पर गंगाजल की कुछ बूंदें छिड़कें और अगर लाल कपड़ा हो तो उसे बिछाऐं अन्यथा कुछ फूलों की पंखुड़ियाँ फैलाकर भगवान श्रीकृष्ण की एक प्रतिमा/ तस्वीर स्थापित करें। प्रतिमा के समक्ष श्रीमद् भागवद्गीता उनके चरणों में रखें। 

भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा/ तस्वीर पर व गीता पर हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर छिड़कें। इस के बाद भगवान श्रीकृष्ण जी व गीता पर रोली/ चन्दन से तिलक लगाऐं एवं फूल अर्पित करें  ।

भगवान के सामने घी का दीपक जलाऐं।

पूजा करते समय सभी परिवार जन एक साथ एकत्र हों और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करें  ।

पूजा करते समय सब मिलकर इन मन्त्रों का भी जाप कर सकते हैं  –

  ऊँ नमो नारायणाय नमः 

  ऊँ श्रीकृष्णाय नमः 

  ऊँ श्रीगोकुलनाथाय  नमः 

  ऊँ देवकीसुत गोविंद वासुदेवाय जगत्पते  नमः 

   ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय  नमः 

   ऊँ  ह्रषिकेशाय  नमः 

अगर संभव हो तो गीता के अध्याय 18 का पाठ अवश्य करें। 

पाठ करने के बाद गीता को पूरी श्रद्धा से माथे पर लगाऐं और वापस यथा स्थान रखें। 

पाठ पूजा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें  तथा भगवान को भोग लगाऐं  ।

सबको आरती देकर प्रसाद वितरण करें  ।

अगर संभव हो तो इस दिन गीता की पुस्तक जन साधारण में बांटें।  यह बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है  ।

अगर घर पर पूजा पाठ की व्यवस्था ना बन पा रही हो तो आस पास किसी मन्दिर में जहाँ गीता जयन्ती का आयोजन हो रहा हो, वहाँ जा कर उस में  शामिल हों और धर्म का लाभ उठाऐं। 

गीता जयन्ती का क्या महत्व?

गीता एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। (Geeta Jayanti Ka Mahatva) द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के ज्ञान चक्षु खोलने के लिए जो संदेश दिया था तथा उसे सांसारिक मोह से मुक्ति दिलाई थी, वह गीता के नाम से विश्व विख्यात हुआ तथा वर्तमान में सब से अधिक सम्मान प्राप्त ग्रंथ माना जाता है।

गीता का संदेश महाभारत युद्ध के समय युद्ध के मैदान कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया था, परन्तु इस ग्रंथ के रचियता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है।

महर्षि वेदव्यास स्वयं तो युद्ध के मैदान में उपस्थित नहीं थे परन्तु ऐसा माना जाता है कि उनके पास ऐसी दिव्य शक्ति थी कि वह किसी की भी आवाज कितनी भी दूरी से आसानी से सुन सकते थे। 

शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि महर्षि वेदव्यास के अनुरोध पर भगवान  श्रीगणेश ने उनके बोलने पर पूरी गीता को बिना एक क्षण बीच में रुके लिखा था ( लिपिबद्ध किया था)।

गीता में 700 श्लोक हैं जिनमें से 574 श्लोक भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उपदेश के रूप में बोले गये थे, तथा शेष में अर्जुन द्वारा 84 श्लोक,  संजय द्वारा 41 श्लोक तथा एक धृतराष्ट्र द्वारा जिज्ञासा के रूप में बोले गऐ हैं ।

गीता को वेदों का सार (Gita the essence of the Vedas) भी कहा जाता है।

उपनिषदों के संदर्भ में गीता को गीतोपनिषद् के रूप में जाना जाता है  ।

गीता का अध्ययन जीवन की वास्तविकता का ज्ञान कराती है  तथा मनुष्य को निस्वार्थ भाव से कर्म करने की प्रेरणा/ ज्ञान  देता है।

गीता का संदेश (message of Gita) भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह में दिया था जिसे सामान्य जन साधारण की भाषा में अगहन मास बोला जाता है।भगवान श्रीकृष्ण ने अपने संदेश में यह भी बताया है कि मैं ( अर्थात वह स्वयं ) माहों में अगहन मास हैं। 

अतः यह माह अत्यंत ही पवित्र व शुभ है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान बहुत ही मंगलकारी है  ।

आज भी हमारे देश की न्यायालयों में जब भी न्यायाधीश के सामने बयान देना होता है तो गीता पर हाथ रख कर सच बोलने का वचन लिया जाता है  ।

भगवत गीता में क्या कहा गया है?

  ” गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै शास्त्रविस्तरैः  ।

या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिसृतः  ।।”

(अर्थात  –  गीता का जितना स्वाध्याय किया जाय जीवन को उतने ही नये- नये सूत्र हाथ लगते हैं,  तथा मनुष्य को संपूर्ण बनाने के लिए जो भी तत्व हैं वह सब गीता में हैं  । )

इस में विश्व के सभी धर्मों के आध्यात्मिक पक्षों का समावेश है  ।

  अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न  –

Q. गीता जयन्ती कब मनाई जाती है ?

Ans.   गीता जयन्ती प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है  ।

Q. गीता जयन्ती इस वर्ष कब आएगी ?

Ans.  इस वर्ष गीता जयन्ती माह दिसम्बर 2022 की 03 तारीख,  दिन शनिवार को आऐगी  ।