धनतेरस या धनत्रयोदशी का पर्व (Festival of Dhanteras) दीपावली से दो दिन पहले कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन विशेषतः देवी लक्ष्मी व भगवान धंवन्तरी की पूजा की जाती है ।
लक्ष्मी जी व धन्वन्तरि देव, दोनों का जन्म इसी दिन समुद्र मंथन से हुआ था। इसी दिन कुबेर देवता एवं यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दक्षिण दिशा में दीप जलाने से अकाल मृत्यु का योग समाप्त हो जाता है।
धनतेरस की प्रथा (Tradition on Dhanteras)
धनतेरस के दिन चाँदी तथा नये बर्तन खरीदने की प्रथा है । भगवन धन्वन्तरि भगवान् विष्णु के अंशावतार हैं।
धनतेरस कब मनाई जाती है? (When Dhanteras is celebrated?)
- धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाई जाती है।
- इस दिन लक्ष्मी, धन्वन्तरी, कुबेर एवं यमराज की पूजा की जाती है।
- यह पर्व दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है तथा इसी दिन दीपावली महापर्व का प्रारंभ होता है ।
वर्ष 2022 में धन तेरस की तिथि (Dhanteras 2022)
वर्ष 2022 का धनतेरस 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा।
धनतेरस शुभ पूजा मुहूर्त (Dhanteras Puja Muhurt)
तिथि आरंभ : 22 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार सांय 06- 02 बजे से।
तिथि समापन : 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार सांय 06 – 03 बजे ।
पूजा का शुभ मुहूर्त : 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार शाम 05 -43 बजे से सांय 06:06 बजे तक।
प्रदोष काल: 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार शाम 17 – 44 बजे से 20 – 54 तक।
प्रदोष काल में पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
इस दिन अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को समुद्र मंथन के बीच धन्वंतरि देवता का जन्म हुआ था तथा ये अमृत कलश लेकर जन्मे थे।
इसी दिन समुद्र मंथन में लक्ष्मी जी का भी जन्म हुआ था। धन्वन्तरि देव के जन्म के कारण ही इस पर्व का नाम धन तेरस पड़ा।
धन्वन्तरि देवों के वैद्य हैं, अतः यह दिन आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है ।
धन तेरस को बर्तन व चाँदी खरीदने की प्रथा
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे इसलिए घरों में नये बर्तन खरीदने का चलन है।
इस दिन विशेषतः चाँदी खरीदी जाती है क्योंकि इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा परिवार की सुख – समृद्धि के लिए की जाती है।
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है।
धनतेरस की पूजा विधि (Worship method of Dhanteras)
- संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।
- पूजा स्थल साफ कर गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
- एक चौकी बिछाऐं और उस पर लाल वस्त्र बिछाऐं।
- सभी भगवानों को आसन स्वरूप कुछ अक्षत (चावल) डालें।
- माता लक्ष्मी स्थापित करें, कलश में जल भरें तथा कुछ अक्षत के दाने डालें तथा कलश पर कलावा बांधें । कलश भगवान धन्वन्तरि का प्रतीक है।
- माता लक्ष्मी के साथ कुबेर का यन्त्र व एक सुपारी श्री गणेश के रूप में रखें ।
- कलश के ऊपर दीपक जलाऐं ।
- यम देवता की पूजा के लिए एक बड़ा दीपक 3 – 4 बत्ती वाला सरसों के तेल का जलाऐं।
- 13 मिट्टी के दीपक जलाऐं ।
सभी स्थापित देवी देवताओ पर गंगाजल झिड़क कर तिलक करें, कलावा अर्पित करें, लक्ष्मी माता के चरणों में एक सिक्के रखें तथा फल/ मिठाई से भोग लगाऐं।
- नया बर्तन जो खरीदा है उसे पूजा में रखें।
- दायें हाथ में फूल लेकर देवताओं से परिवार की समृद्धि की कामना करें तथा गणेश जी, माँ लक्ष्मी, धन्वन्तरि देव व कुबेर जी के स्तोत्र बोलें और फूल उनके चरणों में चढ़ाऐं ।
- अब उन की आरती करें तथा प्रसाद बाटें।
- इस के बाद यमराज का दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें।
- धन तेरस के दिन लक्ष्मी पूजा की कथा –
- धन तेरस के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
धनतेरस की कथा (Story of Dhanteras)
“एक बार भगवान विष्णु भू लोक का दर्शन करने निकले तो देवी लक्ष्मी ने भी साथ चलने को कहा तो विष्णु जी बोले कि आप साथ चल हैं परन्तु जैसा मैं बोलूंगा वैसा आप को करना होगा ।
माता लक्ष्मी ने शर्त मान ली। भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी दोनों भूलोक दर्शन को निकल पड़े। रास्ते में विष्णु जी दक्षिण दिशा की ओर मुड़े और माता लक्ष्मी से कहा कि आप मेरा यहीं इंतजार करें परंतु माता लक्ष्मी विष्णु जी के पीछे – पीछे चलीं।
थोड़ा आगे उन्हें हरे भरे खेत दिखाई दिये, जिन में फूल लगे थे। माँ लक्ष्मी ने कुछ फूल तोड़ लिए। जब वह थोड़ा आगे बढ़ीं तो वहाँ गन्ने व भुट्टों के खेत थे । माता लक्ष्मी ने वह भी तोड़ लिए।
माँ लक्ष्मी थोड़ा आगे चलीं तो भगवान विष्णु उन्हें वहाँ मिल गये। भगवान विष्णु ने फूल और फलों के बारे में पूछा तो माता लक्ष्मी ने बताया कि यह उन्होंन स्वयं खेतों से तोड़े हैं।
इस पर विष्णु जी को क्रोध आया और बोले कि तुमने किसान के खेत से चोरी की है अतः पाप की भागी हो और अब तुम्हे प्रायश्चित के लिए 12 वर्ष किसान के घर रहना होगा और उसकी सेवा करनी होगी । ऐसा बोल कर विष्णु जी वहाँ से चले गए।
लक्ष्मी जी ने 12 वर्षों तक किसान के घर सभी काम किये। घर पर लक्ष्मी जी की उपस्थित होने के कारण किसान समृद्ध और संपत्ति वाला बन गया।
12 वर्ष के पश्चात विष्णु जी लक्ष्मी जी को लेने आए, तो किसान ने भेजने को मना कर दिया। विष्णु जी ने किसान से कहा कि ये धन की देवी लक्ष्मी हैं अतः मनुष्य के घर नहीं रह सकतीं, केवल प्राश्चित के कारण तुम्हारे यहाँ थीं।
किसान फिर भी नहीं माना। तब लक्ष्मी जी ने कहा कि अगर प्रत्येक कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को कोई घी का दीपक जला कर सांय काल मेरी पूजा करेगा तो अदृश्य रूप में मैं पूरे वर्ष उसके घर निवास करूंगी।
तभी से धन तेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा होना शुरू हो गया। पुराणों में भी इस का महत्व बताया गया है ।
एक दूसरी कथा (Another Story of Dhanteras)
पौराणिक काल में हेम नामक राजा के कोई संतान नहीं थी। बहुत पूजा पाठ व मन्नतें करने के बाद उस को पुत्र प्राप्त हुआ।
राजा ने जब पुत्र की कुण्डली बनवाई तो पंडित ने बताया कि शादी के दशवें दिन इस बालक की मृत्य का योग है। यह सुन कर राजा बहुत दुखी हुआ और पुत्र को ऐसी जगह भेज दिए जहाँ कोई स्त्री न हो। भाग्य के आगे किसी की नहीं चलती।
घने जंगल में राजा के पुत्र को एक सुन्दर कन्या मिली जिसपर वह आसक्त हो गया और उस ने उस कन्या से विवाह कर लिया।
भविष्यवाणी के अनुसार यमराज के दूत उस के प्राण लेकर चल दिऐ। मृतक की विधवा का रुदन सुन यम के दूत बहुत दुखी हुए।
यह दुख उन्होंने यमराज को बताया और अकाल मृत्य रोकने का उपाय पूछा। इस पर यमराज ने कहा कि यदि मनुष्य कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की संध्याकाल में अगर अपने घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाऐगा तो उस के जीवन से अकाल मृत्यु का योग टल जायगा।
इसी कारण यमराज की पूजा इस दिन की जाती है ।
धन तेरस का महत्व (Importance of Dhanteras)
- भगवान धन्वन्तरि की पूजा इस दिन होती है।
- इस दिन बर्तन व सोने/ चाँदी की खरीददारी शुभ मानी जाती है।
- नये काम शुरु करना लाभदायक माना जाता है।
- धन्वन्तरि देव की पूजा के साथ माता लक्ष्मी व कुबेर जी की पूजा की जाती है।
- विधि- विधान से पूजन करने से घर में सुख समृद्धि आती है ।
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(Happy Dhanteras- Sundarvan Family)