परंपराऔं के अनुसार इस दिन (Chhoti Diwali) शाम को पाँच पुराने दीये जलाऐ जाते हैं व एक दीपक घी का जलाया जाता है।
पूजा के पश्चात एक दीया रसोई घर में, एक दीया स्नानागार में, दो दीये घर के द्वार पर तथा एक दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखे जाते है।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखे जाने वाला दीपक यम दीपक कहलाता है। यम दीपक जलाने से मनुष्य को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा अकाल मृत्य का भय समाप्त हो जाता है।
छोटी दिवाली के विभिन्न नाम
छोटी दिवाली को निम्न नामों से भी मनाया जाता है –
छोटी दिवाली ; (Chhoti Diwali)
नरक चतुर्दशी ; (Narak Chaturdashi)
रूप चतुर्दशी; (Roop Chaturdashi)
काली चौदस; (Kali Chaudas)
कुछ स्थानों पर इसे हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के रूप में मनाया जाता है।
छोटी दिवाली शुभ मुहूर्त (Chhoti Diwali Shubh Muhurt)
कार्तिक चतुर्दशी कृष्ण पक्ष तिथि
प्रारंभ – 23 अक्टूबर 2022 शाम 06:03 बजे से
समापन – 24 अक्टूबर 2022 शाम 05:27 बजे ।
उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष छोटी दिवाली दिनांक 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जायगी।
काली चौदस मुहूर्त – 23 अक्टूबर 2022 से 24 अक्टूबर 2022 12:33 तक।
अभ्यांग स्नान मुहूर्त – दिनांक 24 अक्टूबर 2022 सुबह 05:08 बजे से सुबह 06:31 बजे तक।
छोटी दिवाली – पौराणिक कथाऐं (Choti Diwali Kyon Manayi Jaati Hai?)
ब्रह्मवैवर्त पुराण (अध्याय 112) में यह उल्लेख मिलता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ एक युद्ध में प्राग्ज्योतिषपुर के अत्याअत्याचारी एवं दुराचारी राजा नरकासुर का वध किया था।
उसके महल में कैद सोलह हजार कन्याऔं को मुक्त कराया था, जिन्होंने महल से मुक्त होने पर भगवान श्रीकृष्ण कृष्ण को देखते ही मन ही मन अपना पति मान लिया था।
तम्प्रविष्टं स्त्रियो वीक्ष्य नरवर्यं वमोहिता ।
मनसा वव्रिरेऽभीष्टं पतिं देवौपसादितम् ।।
भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध तथा सोलह हजार कन्याओं के मुक्त कराने के कारण छोटी दिवाली को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।
दूसरी कथा – (Chhoti Diwali Ki Dusri Katha)
एक अन्य कथा के अनुसार रन्ति देव नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसने अपनी याद में कोई पाप नहीं किया था। मृत्य समय आने पर जब यमदूत उसके प्राण लेने आऐ तो राजा ने उनसे कहा कि मैनें तो कोई पाप नहीं किया है तो आप क्यों लेने आऐ हैं?
आपके आने का अर्थ है कि मुझे नरक में जाना होगा। यमदूतों ने बताया कि एक बार आपके द्वार से भूखा ब्राह्मण बिना भोजन लौटा था और यह उसी पाप कर्म का फल है।
राजा ने विनती कर यमदूतों से एक वर्ष का समय मांगा तो यमदूत मान गऐ। यमदूतों के वापस जाने के बाद राजा विद्वान ॠषियों के पास इस पाप से उदय होने का उपाय पूछने गया।
ॠषियों ने राजा को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को व्रत करना और ब्राह्मणों को भोजन कराने तथा अपने अपराधों की क्षमा याचना की सलाह दी।
राजा ने ॠषियों की सलाह मानी तथा पाप मुक्त हो गया तथा उसे विष्ण लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उसी दिन से पाप और नर्क से मुक्ति के लिए कार्तिक चतुर्दशी का व्रत प्रचलित हुआ।
इस दिन स्नान के बाद श्री विष्णु मंदिर एवं श्रीकृष्ण मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना बहुत पुण्यदायक माना जाता है । इस से पाप कटते हैं और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है ।
छोटी दिवाली को करें यह उपाय (Chhoti Diwali Ke Upaay)
परंपरागत धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छोटी दिवाली के दिन घर में सुख समृद्धि का वास रखने के लिए निम्न उपायों का अवश्य पालन करना चाहिए –
1) भगवान श्रीकृष्ण का पूजन
भगवान श्रीकृष्ण का पूजन छोटी दिवाली के दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है ।इसकी मुख्य वजह इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओ और साधू- संतों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था तथा सोलह हजार कन्याओं को उसके महल की कैद से मुक्त कराया था।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से परिवार में सुख- समृद्धि का संचार होता है ।
2) रूप निखार के लिए इस दिन स्नान से पहले हल्दी चंदन का उबटन अवश्य लगाना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य देवता को उनको प्रणाम करते जल चढाना चाहिए इससे सूर्य देवता की कृपा से चहरे पर अद्भुत तेज आता है।
शायद इसी कारण इस पर्व को रूप चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्धि मिली है।
3) एक मान्यता के अनुसार मनुष्यों को इस दिन स्नान से पहले तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। इस से शरीर को पुष्टि प्राप्त होती है।
4) कुछ पौराणिक प्रथाओं के अनुसार छोटी दिवाली के दिन हनुमान जी की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन हनुमान जी ने अहिरावण का वध किया था। इस दिन के पूजन में हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमान जी की आरती करनी चाहिए।
5) छोटी दिवाली अर्थात नरक चतुर्दशी के दिन सरसों के तेल का जला कर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। इसे यम देवता के लिए दीप दान कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस से परिवार के लोगों को दीर्घायु मिलती है तथा अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है। Sundarvan.in