दोस्तों छठ पूजा प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो कि उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के लोग ज्यादातर मनाते हैं। यह त्योहार (Chhath Puja) हर वर्ष की कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन लोग भगवान सूर्य देव की आराधना करते है जिससे छठी मैया खुश हो जाती है और सब की इच्छा पूर्ति करती है। अगर आप भी “छठ पुजा त्यौहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी” हासिल करना चाहते है तो यह आर्टिकल आपके लिये काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।

इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको “छठ पुजा त्यौहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी” आपके साथ साझा करेंगे।

छठ पूजा कब मनाई जाती है?

Chhath Puja Kab Manayi Jaati hai? छठ पूजा का त्योहार हर वर्ष कार्तिक के महीने में मनाया जाता है। छठ पूजा दिवाली से छः दिन के बाद आती है।

छठ पूजा इस बार 28 अक्टूबर 2022 को शुरू होकर 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगी। छठ पूजा के व्रत का महत्व काफी महत्पूर्ण होता है और यह व्रत बिना खाए पिए 36 घंटे तक लगातार चलता है जिसे हम निर्जला व्रत भी कह सकते हैं।

छठ पूजा को क्यों मनाते हैं?

Chhath puja kyon manatey hain? महाभारत काल में जब पांडव जुआ खेलते हुए अपना सारा राजपाट हार गए थे और इसके साथ ही उन्होंने जुऐ में द्रोपती को भी हार दिया था तब द्रोपती ने छठ पूजा का व्रत विधि-पूर्वक तीन दिन तक निर्जला उपवास रखा था।

द्रोपती के इस व्रत से छठी मैया प्रसन्न हुई थी। तब षष्ठी मैया ने पांडवों का राज पाठ उन्हें वापस सौंप दिया था। इस प्रकार सुख-समृद्धि और शांति के लिए लोग इस व्रत को रखने लगे थे। तब से लेकर यह व्रत विशेषकर औरतें सुखमय जीवन में खुशियां पाने के लिऐ मनाती है।

छठ पूजा का त्यौहार कैसे मनाते हैं?

Chhath Puja Kaise Manatey Hain? छठ का व्रत सनातन धर्म में एक आस्था का पर्व माना गया है। छठ का व्रत किसी नदी या तालाब में नहाने के बाद ही शुरू होता है फिर उसके बाद खरना रखा जाता है।

इसके बाद सूर्य उदय पर उसे अर्घ्य दिया जाता है। इस व्रत में उन्हीं खाने वाली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो मौसम के आधार पर प्रकृति से जुड़ी होती हैं।

जैसे कि विभिन्न प्रकार के फल और खाने वाली सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए भी सूप और दलिया का इस्तेमाल किया जाता है। छठ पूजा के विशेष प्रकार के प्रसाद को पकाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है।

छठ पूजा का मुख्य प्रसाद ठेकुआ होता है। (Prasadam of Chhath Puja) इस व्रत में औरतें अरवा चावल बनाकर और कद्दू की सब्जी बनाकर खाती है। उसके बाद घर के बाकी सदस्य भी इन चीजों को खा सकते हैं।

इन सब वस्तुओं का इसमें खास महत्त्व है। ऐसा माना जाता है कि औरतें इन सब चीजों का सेवन के माध्यम से अपने आपको एक निर्जला व्रत रखने के लिए सक्षत बनाती है।

छठ पूजा की कथा / कहानी क्या है?

Chhath Puja Ka kahani Kya Hai? दोस्तों सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन ब्रह्मा की मानस पूत्री है। छठ पूजा के दिन षष्ठी मैया की पूजा की जाती है इसीलिए इस उपवास का नाम छठ पूजा पड़ा है।

ऐसा सनातन धर्म के ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे। तब उन्होंने सृष्टि को दो भागों में बांट दिया था।

उन्होंने अपने एक तरफ पुरुष और दूसरी तरफ प्रकृति का रूप बनाया। ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी का एक रूप देवसेना माना जाता है।

इस प्रकार प्रकृति का छठा अंश होने के कारण देवी को षष्ठी नाम से भी पुकारा जाने लगा। जो षष्ठी मैया के नाम से विख्यात हुआ।

छठ पूजा कि दूसरी कहानी भी काफी प्रचलित है पौराणिक कथाओं के अनुसार पुराने समय की बात है कि प्रियंवद नामक एक राजा हुआ करता था। उस राजा कि कोई भी संतान नहीं थी।

इस बात से वह बहुत ही चिंतित रहा करता था। उन्हें ऐसा चिंतित देखकर एक दिन किसी साधु ने पूछा की राजन् आपको क्या दुख है। तब राजा ने अपना सारा वृत्तांत उस साधु को बताया। साधु ने राजा से महा ऋषि कश्यप के पास जाकर उनसे यज्ञ करने का आग्रह करने को कहा।

इसके बाद राजा अपनी पत्नी के साथ जाकर महा ऋषि कश्यप से यज्ञ करने के लिए उनसे आग्रह किया। महर्षि कश्यप यज्ञ करने के लिए तैयार हो गए। महा ऋषि कश्यप ने यज्ञ आहुति पूरी होने के बाद उस राजन् की पत्नी से कहा कि आप इस प्रसाद को ग्रहण करें।

इस प्रकार यज्ञ पूरा होने पर प्रसाद को ग्रहण करने पर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को पुत्र प्राप्ति तो हुई लेकिन वह पुत्र मरा हुआ था। वह राजा अपने मरे हुए पुत्र को श्मशान में लेकर चला गया और वहां पर अपने पुत्र के साथ में अपने प्राणों की आहुति भी देने लगा।

तभी ब्रह्मा जी की मानसा पुत्री देवसेना अचानक प्रकट हुई और राजा से कहा कि मैं षष्ठी मैया हूं। हे राजन तुम मेरा विधि-विधान पूर्वक व्रत रखकर उसका पालन करें तो तुम्हें पुत्र प्राप्ति होगी।

राजन ने वैसे ही विधि-विधान पूर्वक उस व्रत को किया और उन्हें एक तेजस्वान अलौकिक  पुत्र की प्राप्ति हुई। उस दिन से हर साल कार्तिक के महीने में दिवाली के छठे दिन बाद छठ पूजा का व्रत और पूजा अर्चना की जाने लगी। तब से लेकर अब तक यह पूजा जीवंत रूप में है।

छठ पूजा का महत्व

Chhath Puja Ka Kya Mahatva Hai? छठ पूजा के व्रत का बहुत ही महत्त्व है। यह व्रत तीन दिन का होता है। इन तीन दिन में लोग बिना खाए-पिए उपवास रखकर भगवान सूर्य देव की स्तुति करते हैं।

इस व्रत में पंचमी तिथि को खराना, छठी तिथि को छठ पूजा और सप्तमी तिथि को उषा आराध्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा के व्रत को विधि विधान से करने से संतान की प्राप्ति होती है।

लोग इस व्रत को जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए करते हैं।

आपको हमने अपने इस आर्टिकल में “छठ पुजा त्यौहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी” बताने कि कोशिश कि है। उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आयी होगी और अगर आपका “छठ पुजा त्यौहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी” से सम्बन्धित कोई भी सवाल है। तो हमें कमेंट करके जरूर बताये। हम आपके सवाल का जवाब देने कि पूरी कोशिश करेंगे। Wish You All Very Happy Chhath Puja, Jai Chhath Mayiya Ki.